मेरे मन में तुम्हारे उस प्रेम की छवि इस प्रकार बनी है, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर पाउंगी, मग़र ऐसा भी नहीं है कि मैं उसे खुद से जुदा नहीं कर पाऊंगी। बेहिसाब उठता है सैलाब मन में उस प्रेम का, जिसे मैं,तुम्हें दिखा नहीं पाऊंगी। अंदर-ही-अंदर तड़पता है हृदय, मग़र उसका दोष ,मैं तुम्हें दे नहीं पाऊंगी। ढलते है दिन,ढ़ल जाती हैं रातें, मग़र तुम्हारे हृदय भेदी शब्दों को भुला नहीं पाउंगी। ख़ुद से नाराज़गी इस बात की रहेगी कि, कभी तुम्हारे जैसी मैं बन नहीं पाऊंगी। Annu sree... ©Nakku #my love #तुम्हारे प्रेम की छवि #soulmate