एक सच्ची बात बताऊँ "हिमांश" - तुम्हारे होने से या न होने से कहीं कोई फ़र्क नहीं पड़ता है क्योंकि इस रीति-रिवाज़ को दुनियां ने बनाया और तुमने उसे अपना लिया॥ जबकि कड़वा सच ये है कि जब तुम किसी लायक़ हो जाओगे फ़िर देखना कि रीति भी तुम होगे और रिवाज़ भी तुम ही होगे॥ Now, no beginning, no learning, only do your best and best.