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यह रचना 6-7 वर्ष पहले किसी से सुनीं थी, मगर आज तक

यह रचना 6-7 वर्ष पहले किसी से सुनीं थी, मगर आज तक ज़हन में मौजूद हैं, सोचा आज आप के साथ सांझा करूं...


हाथों पर टिका रखें है शहतीर हमने,
हमें ढहती दिवार ना समझा जाए।
बहता है इन रगो में भी लहू हिंदोस्ता का,
हमें मुल्क का गद्दार न समझा जाए।। #shayari #dard #byaan #sach #khaani
#yqfans #like 
#tarunvijभारतीय
यह रचना 6-7 वर्ष पहले किसी से सुनीं थी, मगर आज तक ज़हन में मौजूद हैं, सोचा आज आप के साथ सांझा करूं...


हाथों पर टिका रखें है शहतीर हमने,
हमें ढहती दिवार ना समझा जाए।
बहता है इन रगो में भी लहू हिंदोस्ता का,
हमें मुल्क का गद्दार न समझा जाए।। #shayari #dard #byaan #sach #khaani
#yqfans #like 
#tarunvijभारतीय