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डगर ***** उन्हें भूलते भूलते याद कर गए कुछ ऐसे अपन

डगर
*****
उन्हें भूलते भूलते याद कर गए
कुछ ऐसे अपने जज्बात कर गए
एक गुलाब जो हाथ में थामा था मैं 
मसला और फिर इन्क़ेलाब कर गए।

वो डोले में थी मैं पैदल चला
थोड़ी घूंघट में थी,कयामत ढला
कारवाँ वो तो बस अपनो का था
मैं बेगाना,इश्क़ बेहिसाब कर गए

थोड़े गाजे वो बाजे और ताशे बजे
थोड़े ठुमके और आँसू के सजदे कसे
मेरे आंखों को आंसू ने सींचा नहीं
बस कदमों को वो,बेताहस कर गए

चला मीलों मगर ना झलक तक मिली
चमका कंगन था पांवों में पायल घनी
अपलक देखता ही रहा था उसे
वो जो डोली से निकली और घर को चली।

भीड़ छटता रहा,मुस्कानों के संग
मैं गुमशुम खड़ा,था ना कोई ही संग
एक दुल्हन को सेज मिला था मगर
एक चल ही पड़ा था शमशाने डगर

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #LoveYouDad #डगर #कविता #हिंदी  #शेर #बातें
डगर
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उन्हें भूलते भूलते याद कर गए
कुछ ऐसे अपने जज्बात कर गए
एक गुलाब जो हाथ में थामा था मैं 
मसला और फिर इन्क़ेलाब कर गए।

वो डोले में थी मैं पैदल चला
थोड़ी घूंघट में थी,कयामत ढला
कारवाँ वो तो बस अपनो का था
मैं बेगाना,इश्क़ बेहिसाब कर गए

थोड़े गाजे वो बाजे और ताशे बजे
थोड़े ठुमके और आँसू के सजदे कसे
मेरे आंखों को आंसू ने सींचा नहीं
बस कदमों को वो,बेताहस कर गए

चला मीलों मगर ना झलक तक मिली
चमका कंगन था पांवों में पायल घनी
अपलक देखता ही रहा था उसे
वो जो डोली से निकली और घर को चली।

भीड़ छटता रहा,मुस्कानों के संग
मैं गुमशुम खड़ा,था ना कोई ही संग
एक दुल्हन को सेज मिला था मगर
एक चल ही पड़ा था शमशाने डगर

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #LoveYouDad #डगर #कविता #हिंदी  #शेर #बातें