कर्ज न देना भीक़ तुम देना कर्ज न देना देकर रोना पड़ता है किया बेगाने किया अपने सभी को खोना पड़ता है करज़ा देकर हमतो मसीहा बन बैठे कर्ज को वापस लेने में खुद को भिकारी बनना पड़ता है जो भी हमसे कर्ज़ा लिया है मांगने जाऊं उस के घर पे कहते हैं वोह कल तुम अना कल के लिए तो सोना पड़ता है है ये हकीक़त बात हमारी जान लो दुनिया वालो तुम भी वासिफ पे भी गुजरी है ये इस में रोना पड़ता है ©USTAD ISMAIL WASIF SAHAB #क़र्ज़ न देना Ismail wasif #Walk