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बड़े होकर भाई बहन परिवार, कितने दूर हो जाते हैं |

बड़े होकर भाई बहन परिवार,  कितने दूर हो जाते हैं |
इतने व्यस्त हैं सभीं, कि मिलने से मज़बूर हो जाते हैं|

एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम,
सब ज़िन्दगी मे अपने, मसरूफ हो जाते हैं |
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नही पाते थे |
अब बड़े-बड़े मुश्किलो से हम अकेले जूझते जाते हैं।

ऐसा भी नही की उनकी एहमियत नही हैं कोई,
पर अपनी तकलीफ़े जाने क्यूँ उनसे छिपाते हैं
रिश्ते नए, ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं,
और बचपन के ये रिश्ते कहीं दूर हो जाते है
खेल खेल मे रूठना मनाना रोज़ रोज़ की बात थी
अब छोटी सी गलतफैमी दिलो को दूर कर जाती हैं।

सब अपनी उलझनो मे उलझ कर रह जाते हैं|
कैसे बताए उन्हे हम, वो हमे कितना याँद आते हैं।
वो जिन्हे एक पल भी हम भूल नही पाते हैं।।

©Ankur Raaz TODAY REALITY OF ALL RELATIONSHIP 👇
बड़े होकर भाई बहन परिवार, कितने दूर हो जाते हैं |
इतने व्यस्त हैं सभीं, कि मिलने से मज़बूर हो जाते हैं|

एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम,
सब ज़िन्दगी मे अपने, मसरूफ हो जाते हैं |
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नही पाते थे |
अब बड़े-बड़े मुश्किलो से हम अकेले जूझते जाते हैं।
बड़े होकर भाई बहन परिवार,  कितने दूर हो जाते हैं |
इतने व्यस्त हैं सभीं, कि मिलने से मज़बूर हो जाते हैं|

एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम,
सब ज़िन्दगी मे अपने, मसरूफ हो जाते हैं |
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नही पाते थे |
अब बड़े-बड़े मुश्किलो से हम अकेले जूझते जाते हैं।

ऐसा भी नही की उनकी एहमियत नही हैं कोई,
पर अपनी तकलीफ़े जाने क्यूँ उनसे छिपाते हैं
रिश्ते नए, ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं,
और बचपन के ये रिश्ते कहीं दूर हो जाते है
खेल खेल मे रूठना मनाना रोज़ रोज़ की बात थी
अब छोटी सी गलतफैमी दिलो को दूर कर जाती हैं।

सब अपनी उलझनो मे उलझ कर रह जाते हैं|
कैसे बताए उन्हे हम, वो हमे कितना याँद आते हैं।
वो जिन्हे एक पल भी हम भूल नही पाते हैं।।

©Ankur Raaz TODAY REALITY OF ALL RELATIONSHIP 👇
बड़े होकर भाई बहन परिवार, कितने दूर हो जाते हैं |
इतने व्यस्त हैं सभीं, कि मिलने से मज़बूर हो जाते हैं|

एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम,
सब ज़िन्दगी मे अपने, मसरूफ हो जाते हैं |
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नही पाते थे |
अब बड़े-बड़े मुश्किलो से हम अकेले जूझते जाते हैं।