कुछ रिश्ते बेबाक से हैं। कभी समहलते कभी बिखरते कोई उलझे सवालों से। कुछ रिश्ते हैं जो ख़ामोश हैं कुछ रिश्ते शोर में गुमसुम कुछ अजनबी से हैं भीड़ में अनकहे से फिर भी अपने, तो कुछ रिश्ते सिरहाने की सिलवटों में गुम। कुछ रिश्ते उस सर्दी की धूप से नर्म कुछ बरसात की बूंदों से बेफिक्र बरसते हैं। कछु रिश्ते कुछ खुद में बेपरवाह, तो कुछ रूहानी से कुछ जाने हैं पहचाने हैं और कुछ रिश्ते करीब होकर भी अनजाने से। #कुछरिश्ते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi