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तेवरी... हम कब खाते हैं अब रोटी खातीं हमें रोटिया

तेवरी...
हम कब खाते हैं अब रोटी 
खातीं हमें रोटियां रे |

उनके पेटों की खातिर हम 
बनते रहे सब्जियां रे |

कितनी बीतीं सदियाँ प्यारे 
कटी नहीं हथकड़ियाँ रे |

शब्दों के भीतर माचिस की 
रख तो सही तीलियाँ रे |

सर से पांवों पर आनी हैं 
कल को सभी टोपियाँ रे |

©Monika Gupta Rotiya
तेवरी...
हम कब खाते हैं अब रोटी 
खातीं हमें रोटियां रे |

उनके पेटों की खातिर हम 
बनते रहे सब्जियां रे |

कितनी बीतीं सदियाँ प्यारे 
कटी नहीं हथकड़ियाँ रे |

शब्दों के भीतर माचिस की 
रख तो सही तीलियाँ रे |

सर से पांवों पर आनी हैं 
कल को सभी टोपियाँ रे |

©Monika Gupta Rotiya
monikagupta6620

Monika Gupta

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