आईने को रोज रिश्वत देता हूं मैं झूठी हँसी की! मेरी तकलीफ़ को यू मेरे सामने जाहिर मत होने दिया कर! रोती आँखें हो मेरी सुर्ख लाल, अभी चेहरा धुला है यही बताया कर! ©Shalini Pandit #Smile #ShaliniPandit