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यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र १४ यह ईशोपनिषद का भी मंत

यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र १४

यह ईशोपनिषद का भी मंत्र १० है।

अ॒न्यदे॒वाहुर्वि॒द्याया॑ऽअ॒न्यदा॑हु॒रवि॑द्यायाः। 
इति॑ शुश्रुम॒ धीरा॑णां॒ ये न॒स्तद्वि॑चचक्षि॒रे ।।

पद पाठ

अ॒न्यत्। ए॒व। आ॒हुः। वि॒द्यायाः॑। अ॒न्यत्। आ॒हुः॒। अवि॑द्यायाः ॥ 
इति॑। शु॒श्रु॒म॒। धीरा॑णाम्। ये। नः॒। तत्। वि॒च॒च॒क्षि॒रे इति॑ विऽचचक्षि॒रे

हे मनुष्यो ! (ये) जो विद्वान् लोग (नः) हमारे लिये (विचचक्षिरे) व्याख्यापूर्वक कहते थे (विद्यायाः) पूर्वोक्त विद्या का (अन्यत्) अन्य ही कार्य वा फल (आहुः) कहते थे (अविद्यायाः) पूर्व मन्त्र से प्रतिपादन की अविद्या का (अन्यत्, एव) अन्य फल (आहुः) कहते हैं (इति) इस प्रकार उन (धीराणाम्) आत्मज्ञानी विद्वानों से (तत्) उस वचन को हम लोग (शुश्रुम) सुनते थे, ऐसा जानो ॥



Material Science: - O humans!  (() Those scholars (nah) used to say clearly to us (vichchakshire) (vidyāyaःa) (others) of the aforesaid lore (ahaः): they used to say (avidyaःa) of the ignorance of rendering from the former mantra.  , Av)) Other fruits (Ahuah) say (iti) from such (dhirmāna) enlightened scholars (then) we used to hear that word (Shushrum), know this #Vedic 
#upnishad
#Gyan
#sacred
#text
यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र १४

यह ईशोपनिषद का भी मंत्र १० है।

अ॒न्यदे॒वाहुर्वि॒द्याया॑ऽअ॒न्यदा॑हु॒रवि॑द्यायाः। 
इति॑ शुश्रुम॒ धीरा॑णां॒ ये न॒स्तद्वि॑चचक्षि॒रे ।।

पद पाठ

अ॒न्यत्। ए॒व। आ॒हुः। वि॒द्यायाः॑। अ॒न्यत्। आ॒हुः॒। अवि॑द्यायाः ॥ 
इति॑। शु॒श्रु॒म॒। धीरा॑णाम्। ये। नः॒। तत्। वि॒च॒च॒क्षि॒रे इति॑ विऽचचक्षि॒रे

हे मनुष्यो ! (ये) जो विद्वान् लोग (नः) हमारे लिये (विचचक्षिरे) व्याख्यापूर्वक कहते थे (विद्यायाः) पूर्वोक्त विद्या का (अन्यत्) अन्य ही कार्य वा फल (आहुः) कहते थे (अविद्यायाः) पूर्व मन्त्र से प्रतिपादन की अविद्या का (अन्यत्, एव) अन्य फल (आहुः) कहते हैं (इति) इस प्रकार उन (धीराणाम्) आत्मज्ञानी विद्वानों से (तत्) उस वचन को हम लोग (शुश्रुम) सुनते थे, ऐसा जानो ॥



Material Science: - O humans!  (() Those scholars (nah) used to say clearly to us (vichchakshire) (vidyāyaःa) (others) of the aforesaid lore (ahaः): they used to say (avidyaःa) of the ignorance of rendering from the former mantra.  , Av)) Other fruits (Ahuah) say (iti) from such (dhirmāna) enlightened scholars (then) we used to hear that word (Shushrum), know this #Vedic 
#upnishad
#Gyan
#sacred
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