सुन ना जी मोर मयारु,,, यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको । ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों । ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको । अऊ ना ही मंय तोर ऊपर मया जता सको। ना ही मंय तोला कोनों ला बता सको । ना ही मंय तोर फोटू ला कोनों ला देखा सको । ना ही मंय, हमर दूनों झन के मया ला जनवा सको़ । ना मंय तोर साथ सुघ्घर मीठ भाखा गोठिया सकों । ना ही मंय तोर गाँव, तोर घर घूमे ला आ सको। हमर दूनों झन के ये कईसना मया हरे यार,,, देख ना एक बंद पिंजरा मा धंधाये सुवा बरोबर होगे हे यार हमर मया हा,,,, नव सिखिया लेखक ✨ राम - लक्ष्मण 😎 ©_Ram_Laxman_ सुन ना जी मोर मयारु,,, यहूँ हा हमर मन के का मया हरे यार देख ना, ना मैं तोर नाव ले सको । ना ही मंय तोर नाव ला मोर कविता मा लिख सकों । ना मंय तोर से मिले सको, ना ही बात कर सको ।