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आज है जो बात ज़रूरी नहीं कल भी हो। ज़मीं का हरापन ज़

आज है जो  बात ज़रूरी नहीं कल भी हो।
ज़मीं का हरापन ज़रुरी नहीं फ़सल ही हो।
महफ़िल का दस्तूर है  मोहब्बत में जमेगी!
दर्द में जमजाये तो प्यार की नक़ल ही हो।— % & ♥️ Challenge-849 #collabwithकोराकाग़ज़

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आज है जो  बात ज़रूरी नहीं कल भी हो।
ज़मीं का हरापन ज़रुरी नहीं फ़सल ही हो।
महफ़िल का दस्तूर है  मोहब्बत में जमेगी!
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