प्रभाती घनाक्षरी दिनकर दादा आये, सुबह सुहानी लाये, सूर्य किरण पा कर ,जग जग जाएगा। मंद मंद वायु चले , शरद हवाएँ चले, आग जला कर ज़न, गर्माहट पाएगा। डाल डाल खग बोले,नयन सभी ने खोले, दिनकर दादा अब , लालिमा फैलाएगा। सुंदर सुबह आई , नई ऊर्जा संग लाई, नव सृजन का मनु , दीपक जलाएगा। ©Uma Vaishnav #प्रभाती #घनाक्षरी #hills