चलते रहे जो रास्ते हमारे पैरो के नीचे आज उनकी बदौलत हम आसमान छू रहे है शांत बैठे थे जब मिट्टी के कण तो पैरो की धूल थे आज तूफान बनके ये आसमान छू रहे है करते रहे ये लोग भेद भाव मुझसे ता उम्र आज मेरी लाश को ये एक समान छू रहे है -अ ज्ञानी चलते रहे जो रास्ते #nojotoapp #a_gyani Ritika suryavanshi रामाश्रित Neetu_$harmA❤POete$$✒