निगाहें आपकी कहने लगी अब अज़नबी मुझको कहा करतीं वही नज़रें कभी जो ज़िन्दगी मुझको ख़ता किसकी रही होगी भला किसको पता है ये बुझा था चाँद तो दी जुगनुओं ने रोशनी मुझको. ©malay_28 #ख़ता