हरी हरी दूब दूब घास हूं मैं तेरी बगिया की हरी हरी, नरम नरम फूल नहीं हूं मैं जो हल्के स्पर्श से बिखर जाऊंगी लड़ना आता है मुझे हर मौसम से संबल हूं मैं परिवार का सजाई तो नहीं जाती पर हां पूजनीय हूं सदा... दूब घास हूं मैं तेरी बगिया की हरी हरी, नरम नरम फूल नहीं हूं मैं जो हल्के स्पर्श से बिखर जाऊंगी लड़ना आता है