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इंसान लघुकथा आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ

इंसान
लघुकथा

आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है। दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है।औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। 

 Day:9

आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है।दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है। औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। 

दो विपरीत परिस्थितियों के शिकार समुदाय की झड़प ने भयंकर युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस नफरत ने अपनेपन और प्यार को खत्म कर दिया। बीस वर्षों की एकता पल भर में ही सदियों पुरानी दुश्मनी मे बदल गई।

शहर में हुए दंगो के बीच एक औरत अपने बच्चे को लेकर किसी सुरक्षित जगह पर जाने की कोशिश कर रही थी। उसे डर था कि उसके बच्चे को कोई कुछ नुकसान ना पहुँचा दे। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका अपना घर,उसके अपने लोग उसके पड़ोसी जो कभी उसके लिए किसी परिवार से कम नहीं थे,आज उसी के खून के प्यासे हो रहे थे। रास्ते मे पड़ी हुई लाशें,जले हुए घर,रोते बिलखते लोगों की चीखें उसे अंदर ही अंदर दहला रही थी।उसने इंसान को जानवर मे तब्दील होते हुए अपने सामने देखा था। वो तो इस शहर में अकेली थी, कोई भी साथ नही था सिवाय उसके बच्चे और इन पड़ोसियों के। उसका पति उसे छोड़ कर जा चुका था। उसने अपनी गृहस्थी खुद ही बनाई थी पर आज उसे सब कुछ छोड़कर आना पड़ रहा था।
इंसान
लघुकथा

आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है। दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है।औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। 

 Day:9

आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है।दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है। औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। 

दो विपरीत परिस्थितियों के शिकार समुदाय की झड़प ने भयंकर युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस नफरत ने अपनेपन और प्यार को खत्म कर दिया। बीस वर्षों की एकता पल भर में ही सदियों पुरानी दुश्मनी मे बदल गई।

शहर में हुए दंगो के बीच एक औरत अपने बच्चे को लेकर किसी सुरक्षित जगह पर जाने की कोशिश कर रही थी। उसे डर था कि उसके बच्चे को कोई कुछ नुकसान ना पहुँचा दे। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका अपना घर,उसके अपने लोग उसके पड़ोसी जो कभी उसके लिए किसी परिवार से कम नहीं थे,आज उसी के खून के प्यासे हो रहे थे। रास्ते मे पड़ी हुई लाशें,जले हुए घर,रोते बिलखते लोगों की चीखें उसे अंदर ही अंदर दहला रही थी।उसने इंसान को जानवर मे तब्दील होते हुए अपने सामने देखा था। वो तो इस शहर में अकेली थी, कोई भी साथ नही था सिवाय उसके बच्चे और इन पड़ोसियों के। उसका पति उसे छोड़ कर जा चुका था। उसने अपनी गृहस्थी खुद ही बनाई थी पर आज उसे सब कुछ छोड़कर आना पड़ रहा था।
akankshagupta7952

Vedantika

New Creator

Day:9 आज शहर में दहशत का माहौल है। सब तरफ अफर-तफरी मची हुई है।दुकानें जलाई जा रही हैं,बसे फूंकी जा रही है। औरते और बच्चे घर में डर से थर-थर काँपते हुए दुबक गये है। दो विपरीत परिस्थितियों के शिकार समुदाय की झड़प ने भयंकर युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस नफरत ने अपनेपन और प्यार को खत्म कर दिया। बीस वर्षों की एकता पल भर में ही सदियों पुरानी दुश्मनी मे बदल गई। शहर में हुए दंगो के बीच एक औरत अपने बच्चे को लेकर किसी सुरक्षित जगह पर जाने की कोशिश कर रही थी। उसे डर था कि उसके बच्चे को कोई कुछ नुकसान ना पहुँचा दे। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका अपना घर,उसके अपने लोग उसके पड़ोसी जो कभी उसके लिए किसी परिवार से कम नहीं थे,आज उसी के खून के प्यासे हो रहे थे। रास्ते मे पड़ी हुई लाशें,जले हुए घर,रोते बिलखते लोगों की चीखें उसे अंदर ही अंदर दहला रही थी।उसने इंसान को जानवर मे तब्दील होते हुए अपने सामने देखा था। वो तो इस शहर में अकेली थी, कोई भी साथ नही था सिवाय उसके बच्चे और इन पड़ोसियों के। उसका पति उसे छोड़ कर जा चुका था। उसने अपनी गृहस्थी खुद ही बनाई थी पर आज उसे सब कुछ छोड़कर आना पड़ रहा था।