पानिपत की युद्धभूमि में लहू बहा दख्खन का, देखता रहा जहां जो सजा उत्तर का, असफल राजनीति में चूक गया साम्राज्य मराठों का, अपनों को खोने के बाद संभलते हुये खडां हुआ राज्य स्वाभिमान का. खैबर भी शांत हुआ भविष्य बन गया, किये युद्ध के परिणाम स्वरुप अब्दाली स्तब्ध हुआ, पढा इतिहास हार का यह मंजूर होता है, लेकिन सदा के लिये दंग हुआ अफगाण यह विजय अधोरेखित करते है. ©Aniket Dhamdhere #panipat