Nojoto: Largest Storytelling Platform

Alone and Happy फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत क

Alone and Happy  फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ | फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ |
Alone and Happy  फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ | फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ |

फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ |