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शाम से आज साँस भारी है बे-क़रारी सी बे-क़रारी है

शाम से आज साँस भारी है 

बे-क़रारी सी बे-क़रारी है 

आप के बा'द हर घड़ी हम ने 

आप के साथ ही गुज़ारी है 

रात को दे दो चाँदनी की रिदा 

दिन की चादर अभी उतारी है 

शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले 

कैसी चुप सी चमन में तारी है 

कल का हर वाक़िआ' तुम्हारा था 

आज की दास्ताँ हमारी है

©Sam
  #daastaan
samedatt2026

Sam

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