उलझन ख्वाब क्या देखे हम, जो पूरी ही नहीं होती। रिश्तों के उलझन में उलझे हैं, हम क्या करें? ख़्वाब को समय दे या रिश्तों को, निभाना तो हमे ही है, दोनों को साथ लेकर कैसे चले, जरा बता दें हमे। रिश्तों को अहमियत दे या ख़्वाब को, जरा जता दे हमे। उलझते रिश्तों में दरार पर रहीं हैं, कैसी यह विपत्ति आई हैं। रिश्ते उलझन में उलझती उलझती जा रही हैं, अब तो रिश्तों की विखरावट, मेरे ख्वाबों में आ रही हैं। अब क्या करें? ऐसे! ख़्वाब पूरा करें? ©Vishal Thakur #हिन्दीकविता #हिंदीनोजोटो #भारतदेश❤ #जय_हिंदी #उलझन #Walk Saurav Das Nijam Pushpa Chhetri Dil Ki Awaaz Ajay Kumar Anshu writer