की मुझे चाँद देखना पसंद है और उसे चाँद सा दिखना पसंद है, वो भी अपने दाग नहीं छुपाती आंखों में काजल, माथे पर बिंदी नहीं लगती, होठों को उन्हीं के हाल पर छोड़ देती है मुकुरातें ही समाज के सारे बांध तोड़ देती है। उसे कौन सिखाए सजना संवरना बदल न जाए इस दुनिया का हाल वरना ! मैं खुश हूं, मैं खुश हूं कि वो आइने से अपना हाल नहीं पूछती, ये वो, हां नहीं...बेफिजूल सवाल नहीं पूछती, सोचो अगर वो काजल लगा ले..हाय!!❣️ एक दफा बस उलझें बाल सुलझा ले! यह जमाना अपना रुख न बदल दे, हर कोई उसके साथ ना चलदे यह हवाएं रुक न जाए कहीं देखने को उसे.. मैंने उसे जब से देखा हैं, मैं हूं वहीं। ©Ankit Raj #HandsOn my writings