बस ख्यालों में नहीं पुलाव केसरी, सेक रहा हूॅं मैं, किसी मकसद से घुटने, ज़मी पर टेक रहा हूॅं मैं। नाप रहा हूॅं, मुझसे तुझ तक कितनी हैं दूरियाॅं, ऐ मंज़िल, बोहोत गौर से तुझे देख रहा हूॅं मैं।। दूंगा सब ठोकरों को, एक दिन मैं जवाब करारे, पत्थर मेरे सफ़र के, बेअसर दिखेंगे बेचारे। जब लगाउंगा मैं छलांग, अपनी उम्मीदों के कदम से, शर्मा कर कहीं छिप जाएंगी, मेरे रास्तों की दरारें।। निकाल उलझनों के बोझ, अपने ज़हन से फेंक रहा हूॅं मैं, यूॅंहीं नहीं घुटने, ज़मी पर टेक रहा हूॅं मैं। करने को हूॅं मैं एलान, ज़िद से भरी अपनी दौड़ की, ऐ मंज़िल, बोहोत गौर से तुझे देख रहा हूॅं मैं।। ©Arc Kay #shaayavita #manzil #manjil #Goals #ummeed #Hope #Umeed #daud #CalmingNature