आपके साथ गुजारे ये पल का आलम ना पूछिए एक एक लम्हा कैसे गुजरा क्या बताऊं उन लम्हों की तड़प का आलम ना पूछिए यह छह दिन कैसे बीत गए उसका ज़िक्र क्या करना बीती रात में लिखी मेरी कविताओं का आलम ना पूछिए आज मेरा मन पूछता है कैसे गुजारे सबों के साथ ये पल फिर ना जाने कब मुलाकात होगी सबों से आप सबों के यादों का आलम ना पूछ... ©Rishi Ranjan hindi poetry poetry quotes poetry on love poetry lovers