आख़िर ये मोहब्बत तुम्हारे लिए थी क्या? सिर्फ़ एक लम्हा, एक हसीन ख्वाब, या सिर्फ़ वक़्त का गुज़रना? क्यों थक गए क्या ? मोहब्बत मोहब्बत करते फिरते हो, कभी मोहब्बत करके देखो न जिस्म की परछाई में गोते तो खूब लगाएं है कभी इश्क़ में मर के भी देखो न क्या हुआ वो चली गई ? क्या उसे अब फ़रेबी बुलाते हो ? ©बदनाम मोहब्बत