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जब शाम कुछ यूं ढलने लगे, बिन तुम्हारे हर एक चीज़ अ

जब शाम कुछ यूं ढलने लगे,
बिन तुम्हारे हर एक चीज़ अधूरी सी लगने लगे,
जब वो दर्द लबों पे कुछ यूं ठहर सा जाए,
अश्क मेरे जब आंखों से ना छलक पाए,
तो वापस फिर से आओगे क्या?
मुझे फिर से अपना बनाओगे क्या?
प्रेम की रीत निभाओगे क्या?

जब मैं और तुम वापस फिर से हम हो जाए,
इंतज़ार हमारा बस वहीं ख़त्म हो जाए,
इश्क़ जब तुम्हें मुझसे ओर मुझे तुमसे एक बार फिर होने लग जाए,
जब तुम्हारे आंखों की शरारत मेरी आंखों की हया से कुछ गुफ्तगू करने लग जाए,
तो वापस फिर से आओगे क्या?
प्रेम की रीत निभाओगे क्या?
बोलो, वापस फिर से आओगे क्या? #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry #2ndpart
जब शाम कुछ यूं ढलने लगे,
बिन तुम्हारे हर एक चीज़ अधूरी सी लगने लगे,
जब वो दर्द लबों पे कुछ यूं ठहर सा जाए,
अश्क मेरे जब आंखों से ना छलक पाए,
तो वापस फिर से आओगे क्या?
मुझे फिर से अपना बनाओगे क्या?
प्रेम की रीत निभाओगे क्या?

जब मैं और तुम वापस फिर से हम हो जाए,
इंतज़ार हमारा बस वहीं ख़त्म हो जाए,
इश्क़ जब तुम्हें मुझसे ओर मुझे तुमसे एक बार फिर होने लग जाए,
जब तुम्हारे आंखों की शरारत मेरी आंखों की हया से कुछ गुफ्तगू करने लग जाए,
तो वापस फिर से आओगे क्या?
प्रेम की रीत निभाओगे क्या?
बोलो, वापस फिर से आओगे क्या? #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry #2ndpart
monikajhaa6217

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