लिख दी है जब से तेरे नाम यह ज़िन्दगी कर चुकी हूं तन मन तुझे अर्पण चेहरा निहारूं रोज़ जिसमें मैं तेरे जैसा हो वह दर्पण बैठे बैठे जिसके सामने यह उम्र बीत जाए तुम कभी ना हो आंखो से ओझल काश ऐसा वक़्त कभी न आए तेरे नाम ज़िन्दगी