दुर्ग की... कांपती...दीवारें छतरियां... छिन्न भिन्न है रंजिसे खून से... लथपथ... यंहा कहानियां... खूब...गढ़ी हुई है सिसकती..आहों पर देख फेर...पल्लू तू...अपनी चुनरी का दफ़न है... कलम... किसी की...यहाँ किसी की किताबें... तुंग-ए-धार तलवार...के कत्ल-ए-आम.... चढ़ी...हुई है !! ©Raj choudhary "कुलरिया" #दफ़न #जिंदा__तो_हूँ____मै आशुतोष यादव Anshu writer ..SShikha.. deepti Roshani Thakur