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ना जाने किस बात का तुम्हे गुरूर है, एक ना एक दिन ह

ना जाने किस बात का तुम्हे गुरूर है,
एक ना एक दिन होना इसे चकना चूर है,
ये जो अहंकर का चड़ा हुआ तुझ्पे सुरूर है,
अभी तुझे अह्सास नही है कि तू हुआ किनसे दूर है। #poem #ut #grudges
ना जाने किस बात का तुम्हे गुरूर है,
एक ना एक दिन होना इसे चकना चूर है,
ये जो अहंकर का चड़ा हुआ तुझ्पे सुरूर है,
अभी तुझे अह्सास नही है कि तू हुआ किनसे दूर है। #poem #ut #grudges