निराशा के , गहन अंधेरे में , आशा की हल्की , रोशनी नजर आ गई , पास जाकर टटोला तो , आग की एक चिंगारी थी , जो मेरे हाथ को जला गई । को jla ©प्रतिभा Jain चिंगारी #