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निराशा के , गहन अंधेरे में , आशा की हल्की , रोशनी

निराशा के ,
गहन अंधेरे में ,
आशा की हल्की ,
रोशनी नजर 
आ गई ,
पास जाकर 
टटोला तो ,
आग की 
एक चिंगारी थी ,
जो मेरे 
हाथ को 
जला गई ।
को jla

©प्रतिभा  Jain चिंगारी #
निराशा के ,
गहन अंधेरे में ,
आशा की हल्की ,
रोशनी नजर 
आ गई ,
पास जाकर 
टटोला तो ,
आग की 
एक चिंगारी थी ,
जो मेरे 
हाथ को 
जला गई ।
को jla

©प्रतिभा  Jain चिंगारी #