त्वत्तो जगद् भवति देव भव स्मरारे, त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ ! त्वय्येव गच्छति लयं भजदेतदीश, लिंगात्मकं हर चराचरविश्वरूपिन् ! हे विश्वनाथ प्रभो! ये सम्पूर्ण जगत की रचना केवल आपके द्वारा होती है। ये जगत उत्पत्ति के बाद केवल आपमे ही स्थित रहता है और जगत के अंत मे ये आपमे ही लीन हो जाता है। हे हर! हे चराचररूप! आप लिंगात्मक हैं। अर्थात जो कुछ कही भी दिख रहा है, ये विश्व, आकाशगंगा ये ब्रह्मांड और करोड़ो अन्य ब्रह्मांड आदि ये सब श्री शिव भगवान में ही निवास करते है। ~आदि शंकराचार्य~✍🏻 ©Mukesh Rathore आदि शंकराचार्य ✍🏻 . . . #mahadev #MukeshRathore #Bannykrezy4 #sanatandharm