बेतहाशा दिल में बेक़रारी छाई है आज आलम में ये कैसी तन्हाई है ! तेरी यादों के साये में दिन गुजरा शाम चाहतों की होती रुसवाई है ! मैंने उंगली छूकर ये महसूस किया पास बैठकर वह जैसे शरमाई है ! अपने नयनों के पट बंद कर लिए वह मेरे पलकों पे फ़िर भी छाई है ! #येरंगचाहतोंके साथ आओ थोड़ा इश्क़ विश्क की बात हो जाये । : जालिम कोरोना का दिल पर जोर नहीं चल पाएगा चाहत की नदिया निकलेगी वह रोक नहीं इसे पाएगा ! प्यार के दुश्मन कभी शेष रहे हैं जो अब बचकर ये जाएगा ये भारत कि मिट्टी है यहाँ विष अमृत हो जाएगा । : 😊