Nojoto: Largest Storytelling Platform

बहारों के सपने। (पार्ट 4) सुबह उठ कर क्लासेज जाना,

बहारों के सपने।
(पार्ट 4) सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। 

एक दिन निशा क्लासेज नहीं आई। मैंने उसे कॉल किया। पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। फिर में भी अपने काम में व्यस्त हो गई। 

दूसरे दिन जब निशा क्लासेज आई, मैंने उससे पूछा,"कल कहाँ थी? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाया।"

"कल लड़के वाले मुझे देखने आये थे।"निशा ने शरमाते हुये कहा।
बहारों के सपने।
(पार्ट 4) सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। 

एक दिन निशा क्लासेज नहीं आई। मैंने उसे कॉल किया। पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। फिर में भी अपने काम में व्यस्त हो गई। 

दूसरे दिन जब निशा क्लासेज आई, मैंने उससे पूछा,"कल कहाँ थी? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाया।"

"कल लड़के वाले मुझे देखने आये थे।"निशा ने शरमाते हुये कहा।

सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। एक दिन निशा क्लासेज नहीं आई। मैंने उसे कॉल किया। पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। फिर में भी अपने काम में व्यस्त हो गई। दूसरे दिन जब निशा क्लासेज आई, मैंने उससे पूछा,"कल कहाँ थी? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाया।" "कल लड़के वाले मुझे देखने आये थे।"निशा ने शरमाते हुये कहा।