माँ, सारा सवेरा पढ़ते- पढ़ते बीत गया,, तुम कहती हो अभी तो 12 ही बजे है! अरे! जब रात्रि को भी 12 बज सकते है तो जब 12 बजते है तब रात्रि क्यूँ नहीं हो जाती। - टैगोर Reading Ravindernath Tagore's vission of education