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कभी महकते गज़रे को देखूँ, कभी क़ातिलाना नज़रों को दे

कभी महकते गज़रे को देखूँ, 
कभी क़ातिलाना नज़रों को देखूँ, 
मैं कभी कभी मुस्कुराने लगूँ, 
जब उसे देखते बेसब्रों को देखूँ |

✍️सुभाष ठाकुर #बेसब्र  Yogesh soni koundal Vipul Pandey  Patel Gourav Kumar prajjval awadhiya
कभी महकते गज़रे को देखूँ, 
कभी क़ातिलाना नज़रों को देखूँ, 
मैं कभी कभी मुस्कुराने लगूँ, 
जब उसे देखते बेसब्रों को देखूँ |

✍️सुभाष ठाकुर #बेसब्र  Yogesh soni koundal Vipul Pandey  Patel Gourav Kumar prajjval awadhiya