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खुली किताब सा था कभी, अब एक बंद संदूक सा हो गया, ख

खुली किताब सा था कभी,
अब एक बंद संदूक सा हो गया, खिलौने सा जीवन पता नहीं कब बंदूक सा हो गया। #ऐबी #thought #qoute #shayar #shayari
खुली किताब सा था कभी,
अब एक बंद संदूक सा हो गया, खिलौने सा जीवन पता नहीं कब बंदूक सा हो गया। #ऐबी #thought #qoute #shayar #shayari