अलविदा मोहब्बत नजरों कि नज़ाकत तुझे देख के हासिल हुईं, रूह-ए-इश्क़ कि मियादे फिर फ़ासलो से वाकिफ़ हुईं, मोहब्बत तो नाम ही है ऐतबार और सम्मान का, फिर तेरी सारी रहमतें क्यों मेरी ही क़ातिल हुईं !! निगाहें भी अब मेरी तेरे दीदार कि मुख़ालिफ़ हुईं, रूह-ए-जान भी अब तेरी मेरी नफरतों के काबिल हुई, क्यों न कह दे हम अलविदा उस मोहब्बत को, तंग गलियों मे जिसकी मेरी शराफ़त की भी महफिल हुई!! ~~ shubhi~~ #AlvidaMohabbat क्यों न कह दे हम अलविदा उस मोहब्बत को...... #nojoto #nojotohindi #poetry #thoughts #vichaar #love #shayri #poem