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आज भी एक सोच है, बादलों पर मेरी पहुँच है, बनाऊं घर

आज भी एक सोच है, बादलों पर मेरी पहुँच है,
बनाऊं घर तारों के बीच,सुंदर चाँद की खोज है,

दौड़ लगाऊँ दूर गगन में,हवा से फिर मै बात करूँ,
खाना मुझको बहुत है भाये,चॉकलेट से मैं जेब भरूँ,

चंदा आओ, सूरज आओ,तारों की चादर फैलाओ,
मेरे संग संग तुम भी,आसमान की सैर कर जाओ। 😊बचपन सभी को प्यारा लगता हैI
😊चलो आज उस बचपन को जी लेते हैं, फिर से एक बार  I
😊तो देर किस बात की है I 
😊 सजा दो इस पृष्ठभूमि को अपनी कल्पनाओं सेI

कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें 

.आप सभी का काव्य संग्रह मंच पर स्वागत है।
आज भी एक सोच है, बादलों पर मेरी पहुँच है,
बनाऊं घर तारों के बीच,सुंदर चाँद की खोज है,

दौड़ लगाऊँ दूर गगन में,हवा से फिर मै बात करूँ,
खाना मुझको बहुत है भाये,चॉकलेट से मैं जेब भरूँ,

चंदा आओ, सूरज आओ,तारों की चादर फैलाओ,
मेरे संग संग तुम भी,आसमान की सैर कर जाओ। 😊बचपन सभी को प्यारा लगता हैI
😊चलो आज उस बचपन को जी लेते हैं, फिर से एक बार  I
😊तो देर किस बात की है I 
😊 सजा दो इस पृष्ठभूमि को अपनी कल्पनाओं सेI

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.आप सभी का काव्य संग्रह मंच पर स्वागत है।