वो तेरा भी हुस्न फीका करदे ए पत्थर के ताज। चांदनी रात वो जब निकले स्याह लिबास के साथ। कट गए हाथ हज़ारों के ताज लिखने में कटे हाथो में सो रही है ये तेरी मुमताज़। _#Taj #Mumtaz