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राजनीति,की आग लगी है,सुलग रहा है शहर शहर।झुलस रहा

राजनीति,की आग लगी है,सुलग रहा है शहर शहर।झुलस रहा हर एक झरोखा,पनप रहा है नया जहर।आज बने हो  फिर तुम मामा,कल फिर नंगे होने को ।आज खुशी से झूम रहे हो, पांच बरस तक रोने को।आज चमन जो खिला हुआ है ,कल फिर होगा कुहा कहर।। राजनीति की आग लगी है, सुलग रहा है शहर शहर। जाति धर्म का रमला गाते, देते बड़ी दुहाई है।बटुक नारायन सटुक गली, के आज सवन के भाई है। नागैस्वर अब मणि उपहारे,कल फुसकेगे उगल जहर।।राजनीति की...............गर्जन वाले सिंघो के भी, स्वर बकरी से महीन हुए। सोमपान कर पिल्खू भालू, नृत्य कला परवीन हुए।बिना खर्चा के बोतल नाची, साम सवेरे तीन प्रहर। राजनीति की आग लगी है, सुलग रहा है शहर शहर।झुलस रहा हर एक झरोखा,पनप रहा है नया जहर।।

©sasisya vidrohi pardani chunab part 1,,,,,Adarsh varshney Altab Alam Qureshi poetryboy Rahul joshi lokesh jatawat (रावण)  Esha mahi
राजनीति,की आग लगी है,सुलग रहा है शहर शहर।झुलस रहा हर एक झरोखा,पनप रहा है नया जहर।आज बने हो  फिर तुम मामा,कल फिर नंगे होने को ।आज खुशी से झूम रहे हो, पांच बरस तक रोने को।आज चमन जो खिला हुआ है ,कल फिर होगा कुहा कहर।। राजनीति की आग लगी है, सुलग रहा है शहर शहर। जाति धर्म का रमला गाते, देते बड़ी दुहाई है।बटुक नारायन सटुक गली, के आज सवन के भाई है। नागैस्वर अब मणि उपहारे,कल फुसकेगे उगल जहर।।राजनीति की...............गर्जन वाले सिंघो के भी, स्वर बकरी से महीन हुए। सोमपान कर पिल्खू भालू, नृत्य कला परवीन हुए।बिना खर्चा के बोतल नाची, साम सवेरे तीन प्रहर। राजनीति की आग लगी है, सुलग रहा है शहर शहर।झुलस रहा हर एक झरोखा,पनप रहा है नया जहर।।

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