कभी न खुलता ये सच का लिफ़ाफा गर उस दिन हम न खोलते वो सालो से बंद अलमारी का दरवाज़ा देखा जो उस दिन मेरी आंखों ने वो लफ्जों में गड़ा हुआ फलसफा ना रोक पाए हम अपने बहते अश्कों का सिलसिला गर ये बात तुमने उस वक्त सामने कहीं होती सच कहते है तुम्हे कभी खुद से दूर न जाने दिया होता।।।।।। ©varsha khanwani #Loneliness #Loneliness