अब यह शहर जो मेरा घर है, एक मजदूर की तरह लाया गया था मुझे, इस मजदूर को भी दिल से अपनाया था, जिसने, अब वो शहर मेरा घर है, हर लम्हा एक नया सपना दिखाया मुझे, जिन्दगी की भाग दौड़ में दौड़ना सिखाया मुझे, भगाया तो बहुत ,लेकिन सिखाया भी बहुत, यह शहर मेरा घर है, पीछे छूट गया मेरा गाँव वाला घर, आना जाना लगा रहता है, वर्ष में एक दो बार मेहमान की तरह, अब तो अपना चुका है हमे यह शहर और, हम शहर को, क्योंकि यह शहर अब मेरा घर है यह शहर अब मेरा घर है #MeraShehar #मेराशहर manraj kaur