White और मुझे जीतना ही है कभी खुद से कभी औरों से कभी बारिश से कभी धूप से कभी नातों से कभी बातों से और मुझे जितना ही है और मुझे जीतना ही है कभी मेरे अंदर से कभी बाहर से कभी नदी से कभी पहाड़ से कभी गहराई से कभी आसमां से और मुझे जीतना ही है और मुझे जीतना ही है कभी अंधेर से कभी अंधकार से कभी तूफ़ान से कभी बहार से कभी सच से कभी झूठ से मुझे जीतना ही है और मुझे जीतना ही है कभी लकीरों से कभी लहरों से कभी रातों से कभी अपनों के सातों कभी मुश्किलों से सीधे साधे रास्तों से और मुझे जीतना ही है ©( prahlad Singh )( feeling writer) #GoodMorning #मेरी कविता