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क्या कर रहा है तू हे मनुष्य ! कभी आँख उठाकर अपने भ

क्या कर रहा है तू हे मनुष्य ! कभी आँख उठाकर अपने भीतर भी झाँक ले..
धरा, वायु, अग्नि, जल सब त्राहिमाम है तेरे हर कार्य से, 
सुखी जीवन जीने की चाह में इतना स्वच्छंदी कैसे बन गया तू??
के तेरे ही अपनों को मात देने में या जरुरत पड़ने पर मार डालने में तू पलभर भी नहीं सोंचता !!
क्या इसी वजह से माँ धरती तेरा भार सह रही है
की एक दिन तू उनकी संतान बन उनके ही दामन को छल्ली कर देगा?? 
कुछ तो लिहाज़ कर लें मानवी..
मनुष्य जन्म मीला है,  बहुत मुश्किल से मीला है, 
कितना प्रदूषित करेगा तू वातावरण को 
की अब शुद्धता मिट चुकी है,  और सिर्फ प्रदुषण ही फैल चुका है चारों और??
इंसान है इंसान बनकर रह,
क्या जरुरत है तुझे इतना बड़ा बनने की
के तू भगवान को भूल, खुद को ही भगवान समझने लगा है??
पैड का एक छोटा सा पत्ता भी नहीं हिलता प्रभु इच्छा बगैर, 
और तू सर्जनहार के समस्त सर्जन को ही कलंकित करने पर तूला है!! 
सून मानव!  तेरा एक दो नहीं आज के युग का हर कार्य ही इस प्रुथ्वी के लिये विनाशकारी है।। 
अभी भी समय है, 
सुधार जा, 
म्रित्यु से थोड़ा भय रख, 
शरणागत की शरण में जा,
वो दयालु है, 
तेरा कल्याण जरूर करेंगे। 
बस ये विनाशकारी विक्रुती से दुर भाग,
धर्म परायण नीति अपना!
तू स्वयं शुद्ध बन,  संसार शुद्ध रहेगा..।

सबसे बड़ी विडंबना आज के युग की,
के मनुष्य अपना आपा खो चूका है.

बस उसी के उपर मेरे ह्रदय में हो रही पीड़ा की प्रस्तुति!!

Bhavna Shah #Manvi #tu #manav #ban 

#First #write #up #over #here 😊

क्या कर रहा है तू हे मनुष्य ! कभी आँख उठाकर अपने भीतर भी झाँक ले..
धरा, वायु, अग्नि, जल सब त्राहिमाम है तेरे हर कार्य से, 
सुखी जीवन जीने की चाह में इतना स्वच्छंदी कैसे बन गया तू??
के तेरे ही अपनों को मात देने में या जरुरत पड़ने पर मार डालने में तू पलभर भी नहीं सोंचता !!
क्या कर रहा है तू हे मनुष्य ! कभी आँख उठाकर अपने भीतर भी झाँक ले..
धरा, वायु, अग्नि, जल सब त्राहिमाम है तेरे हर कार्य से, 
सुखी जीवन जीने की चाह में इतना स्वच्छंदी कैसे बन गया तू??
के तेरे ही अपनों को मात देने में या जरुरत पड़ने पर मार डालने में तू पलभर भी नहीं सोंचता !!
क्या इसी वजह से माँ धरती तेरा भार सह रही है
की एक दिन तू उनकी संतान बन उनके ही दामन को छल्ली कर देगा?? 
कुछ तो लिहाज़ कर लें मानवी..
मनुष्य जन्म मीला है,  बहुत मुश्किल से मीला है, 
कितना प्रदूषित करेगा तू वातावरण को 
की अब शुद्धता मिट चुकी है,  और सिर्फ प्रदुषण ही फैल चुका है चारों और??
इंसान है इंसान बनकर रह,
क्या जरुरत है तुझे इतना बड़ा बनने की
के तू भगवान को भूल, खुद को ही भगवान समझने लगा है??
पैड का एक छोटा सा पत्ता भी नहीं हिलता प्रभु इच्छा बगैर, 
और तू सर्जनहार के समस्त सर्जन को ही कलंकित करने पर तूला है!! 
सून मानव!  तेरा एक दो नहीं आज के युग का हर कार्य ही इस प्रुथ्वी के लिये विनाशकारी है।। 
अभी भी समय है, 
सुधार जा, 
म्रित्यु से थोड़ा भय रख, 
शरणागत की शरण में जा,
वो दयालु है, 
तेरा कल्याण जरूर करेंगे। 
बस ये विनाशकारी विक्रुती से दुर भाग,
धर्म परायण नीति अपना!
तू स्वयं शुद्ध बन,  संसार शुद्ध रहेगा..।

सबसे बड़ी विडंबना आज के युग की,
के मनुष्य अपना आपा खो चूका है.

बस उसी के उपर मेरे ह्रदय में हो रही पीड़ा की प्रस्तुति!!

Bhavna Shah #Manvi #tu #manav #ban 

#First #write #up #over #here 😊

क्या कर रहा है तू हे मनुष्य ! कभी आँख उठाकर अपने भीतर भी झाँक ले..
धरा, वायु, अग्नि, जल सब त्राहिमाम है तेरे हर कार्य से, 
सुखी जीवन जीने की चाह में इतना स्वच्छंदी कैसे बन गया तू??
के तेरे ही अपनों को मात देने में या जरुरत पड़ने पर मार डालने में तू पलभर भी नहीं सोंचता !!
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Bhavna Shah

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