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*बेवड़े* ************************************** साह

*बेवड़े*
**************************************
साहब! दारू भी अजीबो-गरीब खेल  दिखाती है,
पिये तो आदमी,न पिये तो सरकार लड़खड़ाती है।

कौन कहता  है  कि  ये  हर असलियत छुपाती है,
शक्ल  धुंधली पर असली किरदार नजर आती है।

लोग झूठ  कहते  हैं कि यह  हर गम भुला देती हैं,
पीकर तो उसकी याद हमेंऔर ज्यादा तड़पाती है।

इंसान की कड़वी ज़ुबान तो हमें हमेशा रुलाती है,
एक  यही  है जो रुलाती कम है,ज्यादा हँसाती है।

आखिर यहाँ  कौन है जो रंक को राजा बना जाए,
कुछ देरही सही पर ये अमीरीख्वाब तो जगाती है।

या,खुदा!तूने  भी  क्या  दिलचस्प  चीज  बनाई है,
हमें सुलझाने में आदमी की  हवा निकल जाती है।

दर्द देने वाले तो हमेशा दर्द देकर चले जाते हैं,'बल',
एक  यही  है  जो  हमेशा  हमारा साथ निभाती है।
**************************************
              *बल्लू-बल*
*********जै,जै-राम*********************

©Balram Singh Thakur दारू,,

#holi2021
*बेवड़े*
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साहब! दारू भी अजीबो-गरीब खेल  दिखाती है,
पिये तो आदमी,न पिये तो सरकार लड़खड़ाती है।

कौन कहता  है  कि  ये  हर असलियत छुपाती है,
शक्ल  धुंधली पर असली किरदार नजर आती है।

लोग झूठ  कहते  हैं कि यह  हर गम भुला देती हैं,
पीकर तो उसकी याद हमेंऔर ज्यादा तड़पाती है।

इंसान की कड़वी ज़ुबान तो हमें हमेशा रुलाती है,
एक  यही  है जो रुलाती कम है,ज्यादा हँसाती है।

आखिर यहाँ  कौन है जो रंक को राजा बना जाए,
कुछ देरही सही पर ये अमीरीख्वाब तो जगाती है।

या,खुदा!तूने  भी  क्या  दिलचस्प  चीज  बनाई है,
हमें सुलझाने में आदमी की  हवा निकल जाती है।

दर्द देने वाले तो हमेशा दर्द देकर चले जाते हैं,'बल',
एक  यही  है  जो  हमेशा  हमारा साथ निभाती है।
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              *बल्लू-बल*
*********जै,जै-राम*********************

©Balram Singh Thakur दारू,,

#holi2021

दारू,, #holi2021