झुर्रियां पड़ गई हैं चेहरे पर रंग भी खो गए कहीं सारे नए नवेले नसीहतें देते हैं, और बांट दिया हमारे-आपके ज़माने में कोई बस इतना बता दो हमको क्या फ़र्क है तब और आज के वक़्त में क्या तब किसी को प्यार नहीं चाहिए था या आज किसी को उसकी तलब नहीं क्या तब भी बुज़ुर्ग दो मीठे बोल को तरसते थे या आज उनको अपनो की जरुरत ही नहीं झुर्रियां पड़ गई हैं चेहरे पर पर दिल तो वैसे ही धड़कता हैं ना सोचता है, चाहता है, तरसता है ना क्या करें, दिल को झुर्रियां नहीं पड़ती क्या करे #दिल कि #झुर्रियां नहीं होती