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कुछ मोड़ ऐसे भी थे कुछ मोड़ ऐसे भी थे जहां न चाहक

कुछ मोड़ ऐसे भी थे

कुछ मोड़ ऐसे भी थे
जहां न चाहकर भी मुड़ना पड़ा
हालतों की जंजीरोंने ऐसा जकड़ा
के मजबूरन उन रास्तों पे चलना पड़ा

जिंदगी के दोराहे पे खुदको
अपनों से तोड़ना पड़ा
अपनी खुशियों को... हालातों
के आगे छोड़ना पड़ा

केसा था वो जिंदगी का मोड़
जहां पर मुझे सबकुछ खोना पड़ा
यादों की बरसात आंखों में कैद कर
हर रात सिसकियों के साथ सोना पड़ा

                  - राशि

©Rashi
  कुछ मोड़ ऐसे भी थे

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Rashi

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