तुझमे काबिलियत छीनने की,मुझमे दान की है तेरे लिए बदला ओर मेरे लिए माफी भगवान सी है तुझमे बु घमंड की,मुझमे खुशबू झुकाव की है तेरे नज़रिये में तू कायनात है, मैं खुदा की बनाई इंसान ही हूं। तुझमे डर हार का है,मैं हार कर भी सम्मान से हूं। तेरे जीवन में ज़िल्लत है,मैं पंछी आज़ाद सी हूं। ©Kinjal Dogra #what #to #say #writer #writingcommunity