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वह मुस्कराता है जब जब ऐसे जेब में खनकने लगते है पै

वह मुस्कराता है जब जब ऐसे
जेब में खनकने लगते है पैसे
बागों के फूल खिल जाते है
बिछड़े लोग मिल जाते है
ये हुनर पाया जाने उसने,कब ,कैसे 
वह मुस्कराता है जब जब ऐसे
जेबों में खनकने लगते है पैसे

चांदी में उसने बदल दिया सब
रेत में चला,मुस्करा के जब
काश! हम भी हो जाते उस जैसे
वह मुस्कराता है जब जब ऐसे
जेब में खनकने लगते है पैसे

©Kamlesh Kandpal
  #muskrahat