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न वो हारी थी न मैं हारा था वो समूद्र से आती थी म

न वो हारी थी न मैं हारा था 
वो समूद्र से आती थी
 मैं उसका किनारा था 
न कोई ऋतु होती न कोई मौसम 
रोज वो मिलने आती 
लहरों की धारा थी #waiting मैं रोज इंतजार करूंगा
न वो हारी थी न मैं हारा था 
वो समूद्र से आती थी
 मैं उसका किनारा था 
न कोई ऋतु होती न कोई मौसम 
रोज वो मिलने आती 
लहरों की धारा थी #waiting मैं रोज इंतजार करूंगा